Ahilya Bai Holkar को श्रद्धा से याद किया इंदौर ने
31 मई को देवी अहिल्याबाई की जन्म जयंती के तौर पर मनाया जाता है और तीन सौवीं जयंती पर यह दिन इंदौर में बेहीद खास तरीके से और भरपूर उत्साह के साथ मनाया गया. शहर के मध्य राजवाड़ा पर जहां कि उनका दरबार भी लगा करता था वहीं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने पूरा शहर उमड़ पड़ा. सुबह से ही प्रभात फेरी और अन्य माध्यमों से उन्हें याद करते हुए राजवाड़ा के आसपास कार्यक्रम आयोजित किए गए और शहर के लगभग सभी बैंड वालों ने भी इसमें शिरकत करते हुए आयोजन का एक अनूठा रंग दे दिया.
अहिल्या बाई का संक्षिप्त परिचय
महारानी अहिल्याबाई होल्कर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795) भारतीय मराठा मालवा साम्राज्य की रानी थीं. उन्होंने महेश्वर (मध्य प्रदेश) को होलकर वंश की गद्दी की स्थानीय राजधानी बनाया. उनके पति खंडे राव होलकर और ससुर मल्हार राव होलकर के निधन के बाद, अहिल्याबाई ने स्वयं होलकर वंश के कार्यों का प्रबंधन किया। उन्होंने मालवा राज्य को अतिक्रमणकारियों से बचाया और व्यक्तिगत रूप से सेनाओं का नेतृत्व किया, जिसमें उनके सैन्याध्यक्ष तुकोजी राव होलकर भी शामिल थे. उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न हिन्दू मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण किया.
अहिल्याबाई का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था. उनके पिता मनकोजी शिंदे एक सम्मानीय धनगर परिवार के संतान थे और गांव के पाटिल के रूप में काम करते थे. वैसे तो उस समय में महिलाएं स्कूल नहीं जाती थीं, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें पढ़ने और लिखने की शिक्षा दी.