Europe को सताने लगी सुरक्षा की चिंता
यूरोपीय यूनियन ने डिफेंस फंड बनाने और बांड लाने की प्रक्रिया तेज की
अमेरिका की सत्ता डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में जाने के बाद से ही यूरोपीय यूनियन को सुरक्षा की चिंता होने लगी है और जब यूक्रेन युद्ध से अमेरिका ने हाथ खींचने की घोषणा कर दी तो यूरोपीय कमीशन की चिंता इतनी बढ़ गई कि अब पूरे यूरोप को फिर से हथियारबंद करने के लिए 842 अरब डॉलर जुटाने का प्रस्ताव लाया गया है. यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस प्रस्ताव को सामने रखते हुए कहा है कि यूरोप को हथियारों के लिए 842 अरब डॉलर जुटाने होंगे. यह प्रस्ताव पांच चरणों में लागू किए जाने की योजना बताई गई है जिसमें यूरोपीय यूनियन 150 अरब यूरो का डिफेंस फंड बनाने प्रस्ताव है. इस डिफेंस फंड को के लिए यूरोपीय यूनियन वॉर बॉन्ड लाएगा. ईयू इससे पहले भी यूक्रेन की मदद के लिए 50 अरब यूरो के बॉन्ड जारी कर चुका है. इस प्रस्ताव के सामने आते ही ब्रिटिश डिफेंस कंपनी बीएई सिस्टम्स, जर्मन हथियार निर्माता राइनमेटल और इटली की एयरोस्पेस और डिफेंस फर्म लियोनार्डों के शेयर्स में रिकॉर्ड उछाल देखा गया है.
ट्रम्प के कदमों के चलते यूरोप अमेरिका पर सुरक्षा निर्भरता कम करने की कोशिश में लगा हुआ है. अमेरिका नाटो से भी अलग होना चाह रहा है. अब यूरोपीय यूनियन की सुरक्षा के लिए इस फंड को जरुरी बताया जा रहा है. यूनियन तो यह भी कह रही है कि हमें इससे भी खराब हालात के लिए तैयार रहना होगा. कोल्ड वॉर के बाद से यूरोप की अधिकतर सुरक्षा जिम्मेदारी अमेरिका की रही है. यूरोप के अधिकतर देश अपने डिफेंस पर जीडीपी का 2 प्रतिशत से भी कम खर्च करते हैं लेकिन ट्रम्प ने आते ही साफ कर दिया है कि वे नाटो गठबंधन और यूरोप को सुरक्षा देने में अमेरिकी टैक्स पेयर्स का पैसा बर्बाद करने में रुचि नहीं रखते हैं. यानी अमेरिका ने साथ छज्ञेड़ने का मन बना लिया है और ऐसा हुआ तो यूरोपीय देशों को रक्षा पर अपने बजट का कम से कम 3 प्रतिशत और बड़े देशों को इससे कहीं ज्यादा खर्च करना होगा. पूरे यूरोप के पास युद्ध से जुड़ी हर चीज की कमी तो है ही साथ ही यहां की सेनाएं भी समय से काफी पीछे और बहुत कम संख्या में हैं. बड़े माने जाने वाले यूरोपीय देश यानी यूके और फ्रांस को मिलाकर कुल 500 एटमी हथियार हैं, जबकि अकेले रूस 6000 से ज्यादा एटमी हथियार का मालिक है.