Celebrities की जुबां केसरी पर भी लगेगा ताला?
सितारे जो भ्रामक विज्ञापन करने के पैसे तो लेते हैं लेकिन इसके नुकसान के लिए कभी जिम्मेदार नहीं ठहराए जाते हैं, उनके लिए सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश काफी मुश्किल ला सकता है. पतंजलि भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोगों को प्रभावित करने वाला विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो इसके विज्ञापन में आए सेलिब्रिटीज और इंफ्लूएंसर्स भी जिम्मेदार माने जाने चाहिए. आईएमए की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई में कहा गया कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी को लेकर नकारात्मक प्रचार किया. इसके बाद बेंच ने तय किया कि अब से सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म दाखिल करना जरुरी होगा और ब्रॉडकास्टर्स को कोई भी विज्ञापन दिखाने से पहले एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म देना ही होगा. इस डिक्लेरेशन में बताया जाएगा कि जारी किए गए विज्ञापन में विज्ञापन नियमों का अनुपालन किया गया है. टीवी ब्रॉडकास्टर्स भी ब्रॉडकास्ट सर्विस पोर्टल पर घोषणा अपलोड कर सकेंगे. इससे इतर प्रिंट मीडिया के लिए चार हफ्ते के भीतर एक पोर्टल स्थापित किया जाएगा. विज्ञापनों से जुड़ी 2022 की गाइडलाइन का भी जिक्र करते हुए कोर्ट ने याद दिलाया कि गाइडलाइन 13 में साफ है कि विज्ञापन कर रहे व्यक्ति को उस प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में पर्याप्त जानकारी या अनुभव होना चाहिए जिसे वो एंडोर्स कर रहा है साथ ही उसे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विज्ञापन में भ्रामक तत्व नहीं है. विज्ञापनों के खिलाफ आने वाली शिकायतों को लेकर भी कोर्ट ने एक सही तरीके की जरुरत बताई.