AAP का किला रही दिल्ली भाजपा के पाले में
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा को दिखीं संभावनाएं
दिल्ली विधानसभा चुनावों के रिजल्ट वाले दिन की सुबह भाजपा के लिए बड़ी संभावनाएं लाई क्योंकि शुरुआती रुझानों में इसने न सिर्फ आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने का संकेत दे दिया बल्कि केजरीवाल, सिसोदिया और सिटिंग सीएम आतिशी तक को पछाड़ दिया. एक समय तो ऐसा भी आया कि भाजपा बड़ी जीत की ओर बढ़ती हुई दिखी और जीत की संभावनाओं वाली सीट्स की संख्या 50 को भी पार कर गई लेकिन बाद में बात उसी 36 के आंकड़े पर आ गई जो यहां का बहुमत का आंकड़ा है.
राजा बनने के फॉर्मूले देने वाले अवध ओझा से लेकर खुद लंबे समय तक जेल में रहकर आए सतेंद्र जैन तक एक समय बुरी तरह पिछड़ रहे थे लेकिन बाद में आप की हालत कुछ सुधरने लगी. हालांकि बहुमत के आंकड़े पर भाजपा की लीड लगातार बने रहने से उसे एक संतोष लगातार मिला और खुद आप संयोजक केजरीवाल के हारने की संभावनाओं के चलते भाजपा की खुशी बनी रही लेकिन जिस तरह से एक समय पचास का आंकड़ा भी दूर नहीं लग रहा था उसके चालीस तक भी पहुंचने में मुश्किल आने पर भाजपा की खुशी कुछ कम हुई. 27 साल बाद भाजपा को दिल्ली में जीत की संभावना नजर आना भी कुछ कम बड़ी उपलब्धि नहीं है और यदि मौजूदा ट्रेंड ही जारी रहते हैं तो आम आदमी पार्टी के नेतृत्व पर लगे सवाल बढ़ना तय है क्योंकि पूरे देश में जिन नेताओं के दम पर पार्टी फैलना चाह रही है उन्हें उनके ही क्षेत्र में जनता ने नापसदंगी का कार्ड थमा दिया है.