ओखलेश्वर धाम इंदौर और ओंकारेश्वर वाले रास्ते पर स्थित बाइग्राम से बीस किलाेमीटर अंदर पड़ने वाला एक अद्भुत और प्राचीन स्थान है. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि श्रीराम, लक्ष्मण और मां सीता वनवास के दौरान स्वयं यहां आए थे और अपनी दिव्य उपस्थिति से उन्होंने इस भूमि को आशीर्वाद दिया था. इसीलिए ओखलेश्वर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर से कुछ ही दूरी पर सीतावन नाम की भी एक जगह है. ओखलेश्वर मंदिर अति प्राचीन माना जाता है और यहां जो हनुमानजी की मूर्ति है उसकी एक विशेषता यह है कि श्री हनुमान के हाथ में हम अक्सर द्रोणागिरी पर्वत देखते हैं लेकिन यहां श्री हनुमान ने शिवलिंग को हाथों में उठा रखा है. इंदौर से महज 45 किलोमीटर दूर इस मंदिर के परिसर में ही ऐ अति प्राचीन शिवमंदिर भी है जिसके बारे में माना जाता है कि यह द्वापर युग का है और इसे वर्तमान स्वरूप देवी अहिल्या ने दिया. ओखलेश्वर मंदिर में जो हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है उसकी ऊंचाई साढ़े नौ फीट है. यहां हर बार रोहिणी नक्षत्र या हनुमान जन्मोत्सव के दिन ही चोला चढ़ाया जाता है. इस मंदिर में 1976 से पंडित ओंकार प्रसाद पुरोहित ने अखंड रामायण का पाठ शुरु कराया जो पिछले 48 साल से अनवरत जारी है. इस मंदिर को हनुमानजी के प्राचीनतम मंदिरों में गिना जाता है और यहां पहुंचकर वाकई एक अनूठा अनुभव होता है.
ओखलेश्वर तक पहुंचना भी किसी खास अनुभूति से कम नहीं है क्योंकि यहां तक पहुंचने का जो रास्ता है वह बहुत सुरम्य है और हरे-भरे जंगलों और छोटे छोटे गांवों के बीच से होकर गुजरता है.
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