Shivna Samagam में देश भर से जुटे साहित्यकार
शिवना ने सीहोर को साहित्य का गढ़ बना दिया-प्रेम जनमेजय
साहित्य के क्षेत्र में सीहोर का नाम पहले कालिदास के समय से पहचाना जाता रहा है और अब शिवना प्रकाशन ने सीहोर काे साहित्य का गढ़ बना दिया है. शिवना प्रकाशन के साहित्य समागम और अलंकरण कार्यक्रम में याामिल हुए अधिकांश साहिज्त्यकारों ने अपने अनुभव इन्हीं भावनाओं के साथ व्यक्त किए.
31मार्च को सीहोर के क्रीसेंट रिजार्ट में आयोजित शिवना साहित्य समागम में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डाॅ. प्रेम जनमेजय ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि यह कार्यग्क्रम, इसमें दिए गए सम्मान खास हैं. कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कथाकार गीताश्री ने कहा कि शिवना प्रकाशन बेहद सराहनीय कार्य कर रहा है क्योंकि अक्सर साहित्यकारों के सम्मान में इस तरह के आयोजन नहीं होते. ऐसे आयोजन उत्सव हैं और उत्सव हमें ऊर्जा देते हैं. यह आयोजन लगातार नई ऊंचाईयों को छू रहा है. कार्यक्रम के अध्यक्ष कथाकार महेश कटारे ने कहा कि शिवना प्रकाशन एक छोटे शहर से बड़े साहित्यकारों की किताबें छाप रहा है. साहित्य काे छोटे शहरों और गांवों से जोड़ने के ऐसे प्रयास होते रहना चाहिए.
कार्यक्रम में देशभर से साहित्यकार शामिल हुए. कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार पंकज सुबीर ने किया और सीहोर को लेकर रोचक जानकारियां देते हुए कहा कि सीहोर के शरबती गेहूं प्रसिद्ध हैं और सभी आगंतुक शहर की पहचान याद रखें इसलिए शहर के व्यापारी अनिल पालीवाल ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह स्वरूप शरबती गेहूं भेंट देना तय किया है. कार्यक्रम की शुरुआत प्रहलाद प्रजापति के स्वर में कबीर गीतों से हुई. कार्यक्रम पश्चात अतिथियों ने मालवी व्यंजनों का आनंद लिया.
इन्हें किया सम्मानित
शिवना सम्मान चयन समिति के संयोजक तथा लेखक आकाश माथुर और शिवना प्रकाशन के महाप्रबंधक शहरयार खान ने बताया कि वर्ष 2023 के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिवना सम्मान से अयोध्या के युवराज यतींद्र मिश्र को उनकी किताब ‘गुलजार साब-हजार राहें मुड के देखी’ के लिए सम्मानित किया. वहीं कृति सम्मान स्नेह पीयूष को दिया गया. 2021 का अंतर्राष्ट्रीय शिवना सम्मान हरि भटनागर को और 2022 का सम्मान नीलेश रघुवंशी को दिया गया. शिवना कृति सम्मान 2021 ओमप्रकाश शर्मा और आदित्य श्रीवास्तव को दिया गया. आयोजन में ढ़ींगरा फैमली फाउंडेशन सीहोर अखिलेश राय को अवार्ड ऑफ एक्सीलेंसी सम्मान से सम्मानित किया. ऑलाइन इस कार्यक्रम से जुड़ी वरिष्ठ साहित्यकार सुधा ओम ढ़ींगरा ने शिवना की आगामी कार्य योजना के बारे में बताया कि नव लेखकों के लिए एक और सम्मान की शुरुआत की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि शिवना प्रकाशन अब एक लिमिटेड कंपनी के रूप में काम करते हुए ऑडियो बुक भी लांच करेगी.
किताब विमोचन
शिवना प्रकाशन के इस भव्य आयोजन में दो किताबों का विमोचन भी किया गया. जिसमें लेखक शैली बक्शी खड़कोतकर का कहानी संग्रह ‘सुनो नीलगिरी’ और लेखक पारुल सिंह का ‘ऐ वहशते-दिल क्या करूं’ शामिल है. कार्यक्रम में लोकेंद्र मेवाड़ा, दिलीप शाह, अनिल पालीवाल, कैलाश अग्रवाल, अशोक राय, राजेश चाण्डक, उमेश शर्मा, सुदर्शन राय, हितेन्द्र गोस्वामी, सुनील भालेराव, राजकुमार राठौर, अथर अली, सुरेंद्र सिंह ठाकुर, जोरावर सिंह, स्वदेश विश्वकर्मा, सनी गोस्वामी, अभिमन्यु पुरोहित, शहरयार, जीतेन्द्र राठौर, सचिन पुरोहित, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी आदि मौजूद रहे.