Swami Vivekanand और टेस्ला की वह अनूठी मुलाकात
आज विवेकानंद जयंती मनाई जा रही है. इस संदर्भ में एक अलग सी कहानी जो कि अमूमन सामने नहीं आती. दरअसल स्वामी जी की अमेरिका यात्रा का जो सबसे चर्चित किस्सा है वह उनके उस भाषण का है जिसने पूरी दुनिया में उनका लोहा मनवा दिया. इस भाषण से जो लोग प्रभावित थे उनमें सिएरा बर्नहर्ट भी थीं जो उस समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं और उनका नाटक काफी प्रसिद्ध हो रहा था जिसकी विषय वस्तु थी बुद्ध का ध्यान और उनके ध्यान को भटकाने की कोशिश को लेकर. स्वामी जी तक भी इस नाटक की बात पहुंची और उन्होंने यह नाटक देखने की इच्छा जताई.
बर्नहर्ट तक स्वामी जी की ख्याति तो पहुंचनी ही थी क्योंकि सारे अखबार उनके भाषण को लेकर अभिभूत हो ही रहे थे. फरवरी 1896 की एक शाम स्वामिजी नाटक देखने पहुंचे. बर्नहर्ट को पता चला कि विवेकानन्द नाटक देखने आए हैं तो उन्होंने नाटक खत्म होते ही उन्होंने विवेकानंद जी से मुलाकात की. मुलाकात अधूरी सी लगी तो स्वामीजी को अपने घर पर आमंत्रित किया. स्वामी जी जब वहां पहुंचे तो वहां विज्ञान की दुनिया में अपने नए प्रयोगों से उथलपुथल मचा देने वाले निकोला भी वहां थे. टेस्ला का जिक्र स्वामी जी पहले भी कर चुके थे और कह चुके थे मेरी रुचि है कि कैसे टेस्ला अनंत ऊर्जा को लेकर हमारे दर्शन को वे किस तरह गणितीय तरीके से प्रदर्शित करते हैं. टेस्ला और विवेकानंद की मुलाकात का कोई विवरण तो उपलब्ध नहीं है कि दोनों के बीच क्या बात ही लेकिन यह तय है कि दोनों के बीच जो बातें हुईं वो इस मुलाकात पर ही खत्म नहीं हुईं. पत्राचार और विचारों के आदान प्रदान का सिलसिला इतना रहा कि स्वामी जी टेस्ला से उनके प्रयोगों के बारे में पूछते रहते और टेस्ला ने जो अगले प्रयोग किए उनमें स्वामी जी के विचार ही नहीं हिंदी और संस्कृत के कई शब्दों को भी उन्होंने इस्तेमाल किया. यूं तो स्वामी जी की अमेरिकी दौरे पर तीन बड़ी मुलाकातें मानी जाती हैं, रॉकफेलर, जमशेद जी टाटा और निकोला टेस्ला. बाकी दो मुलाकातों की कहानी तो फिर भी सामने आती हैं लेकिन टेस्ला से उनकी मुलाकात को लेकर ही सबसे ज्यादा उत्सुकता बनी होती है, आज भी इस सन्यासी और महान वैज्ञानिक के बीच हुई बातें हमारी रुचि का विषय हैं.