August 2, 2025
देश दुनिया

Union Corbide के कचरे पर पीथमपुर में भारी विरोध, इंदौर में भी गुस्सा

दो युवकों ने तो खुद को आग ही लगा ली, हालत गंभीर

चालीस साल से जो कचरा यूनियन कार्बाइड के भोपाल परिसर में था उसे पीथमपुर (इंदौर/धार) में नष्ट करने का मामला अब बिगड़ता नजर आ रहा है. कचरे के पीथमपुर पहुंचने पर पुलिस प्रशासन ने पूरी कोशिश की कि लोग अपना गुस्सा न निकाल पाएं लेकिन बात यहां तक पहुंच गई कि दो युवकों ने तो खुद को आग ही लगा ली. जिन्होंने इस मुद्दे पर आग लगाकर जान देने की कोशिश की है उनके नाम राजू पटेल और राजकुमार रघुवंशी बताए गए हैं. दरअसल सारा मामला दो धुरियों पर टिका हुआ है, जहां प्रशासन ने इसे लेकर ढीले तरीका अपनाते हुए लोगों को भरोस में नहीं लिया वहीं मीडिया ने इसके डरावने पक्ष इस तरह सामने रख दिए कि जनभावनाएं कचरा नष्ट करने के खिलाफ हो गईं. यदि कचरा खतरनाक नहीं है तो उसे खतरनाक कचरे लिखे हुए कंटेनर में लाने की जरुरत क्यों पड़ी और इसे लाने में जुटे सभी लोगों का विशेष बीमा क्यों कराया गया. यहां तक कि लोगों को यह भी नहीं बताया गया कि इसे भोपाल से लाकर यहां नष्ट किया जाना क्यों जरुरी है और न यह साफ किया गया कि यह किस हद तक नुकसान वाला हो सकता है और कौन से तथ्य मनगढंत तरीके से प्रचारित किए जा रहे हैं.

इस पूरे प्रकरण में एक पक्ष रामकी का भी है जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा न होने के बावजूद उसे इस बड़े काम के लिए चुन लिया गया. यदि शासन और प्रशासन इस बात पर संबंधित पक्षों को इस बात को समझाने की कोशिश करता कि हत्यारी कंपनी यदि अमेरिका की है और यदि जर्मनी में इसे नष्ट करने के सबसे बेहतर साधन हैं तो इसे पीथपुर में जलाने का क्या औचित्य है तो बात इतनी नहीं बिगड़ती. शुक्रवार को जिस तरह के प्रदर्शन पीथमपुर में हुए और जिस तरह सभी कंपनियों के अलावा संगठनों ने भी प्रदर्शन को साथ दिया उससे अंदेशा तो यही है कि अब खुलकर सभी को यह बताना ही होगा कि इस जहरीले कचरे के यहां जलाए जाने के कारण क्या हैं और नुकसान क्या क्या संभावित हैं. पीथमपुर आज जिस तरह से इस मामले पर उद्वेलित नजर आया कमोबेश वैसा ही गुस्सा इंदौर में भी देखा जा रहा है क्योंकि बताया यह गया है कि इससे जो जल और वायु प्रदूषित होगी उसके असर से इंदौर अछूता नहीं रह सकेगा. इसी बीच कुछ वीडियो ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें कहा जा रहा है कि इस कचरे के पीथमपुर में जलाए जाने का असर यह होगा कि इंदौर का हर आठवां व्यक्ति कैंसर का शिकार हो जाएगा. ऐसी बातों ने आक्रोश को बढ़ा दिया है और प्रशासन को सूझ नहीं रहा है कि वह इस स्थिति से कैसे निपटे.