Natural colors बनाना सीखा एसजीएसआईटीएस के छात्रों ने
होली पर्व पर प्राकृतिक रंग का ही इस्तेमाल हो इसलिए इन्हें बनाने के साप्ताहिक प्रशिक्षण की शुरुआत जिम्मी और जनक फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जनक पलटा के उद्बोधन और गुरुबक्स की प्रार्थना के साथ हुई. एसजीएसआईटीएस के सिविल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्रों, सिल्वर स्प्रिंग और विजयनगर इंदौर की महिलाओं के दो उत्साही समूहों के प्रतिभागियों को फूलों से होली प्राकृतिक रंग बना कर दिखाया. पलाश से नारंगी-सुनहरा रंग, गुलाब की पंखुड़ियों से गुलाल, बोगेनविला, पोई के पौधे से भी चटख रंग बनाने की प्रक्रिया बताई. सोलर ड्रायर और सोलर कुकर में संतरे के छिलकों से बने रंगों ने सभी प्रतिभागियों को लुभाया. जनक दीदी ने होली मनाने के लिए प्राकृतिक रंगों के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि प्यार से हमारी संस्कृति को बनाए रखना और प्रकृति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए बिना खुशियां मनाना ज्यादा बेहतर है. उन्होंने रासायनिक रंगों के नुकसान के प्रति भी जागरुक किया.
बीएचयू और आईआईआईटी हैदराबाद के पूर्व निदेशक रहे प्रो राजीव संगल कार्यक्रम के मुख्य अतिथित थे, उन्होंने अच्छाई की जीत सुनिश्चित बताते हुए कहा कि हमें पर्यावरण-प्रदूषित जीवनशैली से बचना होगा. हमारे भोजन और रोजमर्रा की जिंदगी में मौजूद रसायनों ने त्योहारों तक को प्रदूषित कर दिया है, रासायनिक रंग इसका एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि जनक दीदी का सस्टेनेबल जीवन जीना हमारे लिए एक आदर्श उदाहरण है. डॉ शेफाली ने इस कार्यशाला के दौरान आयुर्वेद के आधार पर बताया कि किस तरह फूलों और जड़ी-बूटियों का उपयोग हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है. वीरेंद्र गोयल ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और प्रशिक्षण की सराहना की.