July 18, 2025
रोमांचक/रोचक

Einstein’s Unpublished Letter पशु पक्षियों में होते हैं सुपरसेंसेस

अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत ने न केवल ब्रह्मांड की हमारी समझ को बदला, बल्कि हमें विशाल अंतरिक्ष का पता लगाने में भी मदद की. उनकी प्रतिभा सिर्फ पृथ्वी से परे के विज्ञान को समझने तक सीमित नहीं थी, बल्कि एक पत्र से पता चलता है कि उनकी कई अन्य मान्यताएं थीं जिनमें यह भी शामिल है कि वे पशु पक्षियों में सुपरसेंस होने की बात कहते हैं.

हाल ही में खोजा गया एक लंबे समय से खोया हुआ पत्र, जो एक इंजीनियर द्वारा की गई जांच के जवाब में आइंस्टीन द्वारा लिखा गया था, यह बताता है कि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि जानवरों में अतिसंवेदनाएं होती हैं, जो प्रकृति की हमारी समझ को जीव विज्ञान और भौतिकी दोनों के नजरिए से नई दिशा देती हैं. 18 अक्टूबर, 1949 को माइकल नॉर्मल को जवाब देते हुए, आइंस्टीन ने इसमें लिखा था कि उस समय कोई अज्ञात भौतिक प्रक्रिया है जो प्रवासी पक्षियों और संदेशवाहक कबूतरों के व्यवहार की व्याख्या कर सकती है. आइंस्टीन ने डेविस को लिखा, “यह संभव है कि प्रवासी पक्षियों और संदेशवाहक कबूतरों के व्यवहार की जांच किसी अज्ञात भौतिक प्रक्रिया की समझ को जन्म दे सकती है.”

इन दो वैज्ञानिक दिमागों के बीच हुए इस पत्राचार के दशकों बाद, अब यह पता चला है कि पक्षी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को अपनी आंखों में विशेष प्रकाशग्राहियों का उपयोग करके महसूस कर सकते हैं. ये प्रकाशग्राही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में सूक्ष्म बदलावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे उन्हें हजारों किलोमीटर दूर तक विशाल भूमि और खुले समुद्रों में बिना रास्ता भटके पलायन करने में सक्षम होते हैं.

आइंस्टीन ने साफ कहा है कि पक्षियों भौतिक आधार वैज्ञानिकों को उस समय समझ में नहीं आता था. और यह खोज न केवल पक्षियों के लिए बल्कि अन्य जानवरों के लिए भी निहितार्थ रखती है. उदाहरण के लिए, कुछ समुद्री कछुए, कुत्ते और मधुमक्खियां भी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को महसूस करने की अजीब क्षमता प्रदर्शित करते हैं. हालांकि, वे इसे अपनी आंखों के माध्यम से महसूस नहीं करते हैं. जाहिर है आइंस्टीन प्रकृति में मौजूद उन अज्ञात संवेदनाएं की बात कर रहे हैं जिनका हम अभी तक पता नहीं लगा पाए हैं.

आइंस्टीन के इस पत्र की खोज से जीव विज्ञान और भौतिकी के क्षेत्र में नए शोधों को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है. वैज्ञानिक अब जानवरों की इन अतिसंवेदनाओं के पीछे के underlying mechanism को समझने का प्रयास कर सकते हैं. इससे न केवल हमें जानवरों की दुनिया के बारे में अधिक जानने में मदद मिलेगी, बल्कि यह नई तकनीकों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है.

उदाहरण के लिए, जानवरों के चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने की क्षमता को नई नेविगेशन प्रणालियों को विकसित करने के लिए प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसी प्रकार, जानवरों की अवरक्त विकिरण या ध्वनि तरंगों को महसूस करने की क्षमता का उपयोग करके बेहतर सेंसर बनाने में भी मदद मिल सकती है. हालांकि चमगादड़ की क्षमता को लेकर कई सेंसर उपकरण बने हैं लेकिन इस दिशा में शोध सीमित ही रहा है.