Media सम्मान तो अच्छी बात है लेकिन पैसा कितना मिला रवीश बाबू
भारत के खिलाफ आग उगलने वालों के लिए विदेशों में सम्मान समारोह
रिपोर्टर्स सेंस फ्रंटियर्स ने 3 दिसंबर 2024 को वॉशिंगटन में प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड्स में रवीश कुमार को इंडिपेंडेंस प्राइज दे डाला. अब पैसा सोरोस एंड कंपनी या फोर्ड फाउंडेशन दे रहा हो तो जिन्हें पत्रकार बतौर चुना जाएगा उनके नाम पहले से ही समझ जाते हैं. आज रवीश हैं तो कल जुबैर होंगे और परसों आरफा खानम होंगी. यहां तक तो बात समझ आती है लेकिन लोगों को यह समझ नहीं आया कि एसआरएफ को अपने 32वें ईनाम जलसे में झूठ बोलने की जक्या जरुरत पड़ गई कि एनडीटीवी खरीदते ही रवीश को निकाल दिया गया. खुद रवीश भी हकीकत बता सकते थे कि उन्होंने इस्तीफा दिया था न कि उन्हें निकाला गया था लेकिन जब लिफाफे मिल रहे हों, जमकर पैसा बटोरने का मामला हो तो इतना झूठ सुनकर भी चुप रहना उनकी मजबूरी हो सकती है.
लोगों को यह बात भी समझ नहीं आई कि कार्यक्रम में जब झूठ ही परोसना था तो अडानी का नाम लेने से परहेज क्यों किया गया, ईनाम देते हुए कहा गया कि एनडीटीवी को मोदी के एक करीबी व्यवसायी ने खरीदा तो रवीश को बाहर निकाल दिया. जब सोरोस गैंग के पैसे के दम पर वे लोग भी अडानी का खुलकर नाम ले रहे हैं जिनके परिवार वाले छुप छुप कर अडानी से मिलते हैं तो आखिर पत्रकारों की इस जमात को अडाानी का नाम लेने से परहेज क्यों था. खैर, अब रवीश को बड़े बड़े संगठन सम्मानित कर रहे हैं और इनमें से ज्यादा वही हैं जिनके पास पैसा भारत विरोधी ताकतों के पास से आता है तो रवीश कैसी पत्रकारिता करेंगे यह तो आप समझ ही लीजिए.